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श्वसन (Respiration)

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  श्वसन ( Respiration)   जीवों में कोशिकीय ( Cellular) स्तर पर ऑक्सीजन की उपस्थिति में भोजन के जैविक कमीकरण ( Oxidation) की क्रिया श्वसन कहलाती है। जैविक क्रियाओं में संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।   . श्वसन के समय मुक्त ऊर्जा एडिनोसीन ट्राइफॉस्फेट ( ATP) के रूप में परिवर्तित होकर रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।   खाद्य अणुओं में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट ( Carbohydrate) का ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऑक्सीकरण ( Oxidation) होने से ऊर्जा ( Energy) विमुक्त होती है। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज का उपयोग किया जाता है, इसीलिए ग्लूकोज को कोशिकीय ईंधन ( Cellular Fuel) भी कहा जाता है।   मनुष्य में श्वसन दर लगभग 12-15 बार प्रति मिनट होती है। सामान्य श्वसन के दौरान लगभग 1500 मिली. वायु फेफड़ों में प्रत्येक श्वसन चक्र में ग्रहण की जाती है। इसे फेफड़ों की कार्यात्मक अवशेष सामर्थ्य ( Functional Residual Capacity) कहते हैं। श्वसन की प्रक्रिया ( Process of Respiration ) श्वसन एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है ज...

Kidney (वृक्क) क्या है?

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 प्रत्येक मनुष्य में दो वृक्क होते हैं। यह स्पाइन (Spine) के दाँये बाँये पसलियों के नीचे व उदर (Belly) के पीछे स्थित होता है। बाँया वृक्क, दाँये वृक्क की अपेक्षा थोड़ा ऊपर स्थित होता है। यह रुधिर से उत्सर्जी पदार्थों को हटाने एवं रुधिर में उपयोगी पदार्थों की पर्याप्त मात्रा बनाये रखने हेतु अनुकूलित होते हैं Kidney image  Kidney ki आकृति राजमा के समान होती है। सामान्यतः एक वृक्क की लंबाई 10 सेमी., चौड़ाई 5 सेमी. व मोटाई 3 सेमी होती है। एक वयस्क व्यक्ति में इसका भार लगभग 120-170 ग्राम होता है। प्रत्येक वृक्क गहरे भूरे एवं लाल रंग के तंतुमय संयोजी ऊतकों से घिरा रहता है। https://www.blogger.com/u/0/blog/post/edit/4592902480963207203/6547872622632080979 वृक्क के चारों ओर एक झिल्लीनुमा आवरण पाया जाता है, जिसे पेरिटोनियम (Peritoneum) कहते हैं। प्रत्येक वृक्क एक खोल से घिरा होता है, जिसे वृक्क खोल (Renal Capsule) कहते हैं। वृक्क की भीतरी सतह अवतल (Concave) होती है जिसमें एक अनुदैर्ध्य छिद्र होता है, जिसे हाइलम (वृक्कीय हाइलम) कहते हैं। इससे होकर वृक्कीय धमनी व तंत्रिकाएँ प्रवेश करती ह...

उत्सर्जन तंत्र (Excretory system)

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 प्राणियों द्वारा शरीर में निर्मित हानिकारक एवं विषैले अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से विसर्जित करने की जैविक प्रक्रिया उत्सर्जन (Excretion) कहलाती है। शरीर की कोशिकाओं में उपापचय (Metabolism) के फलस्वरूप शरीर में एकत्रित जटिल यौगिकों (अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि) का विघटन ता है और कुछ अपशिष्ट पदार्थों (Waste Products) का निर्माण होता है। जिसे उत्सर्जी पदार्थ (Excretory Substances) कहते हैं। उत्सर्जी पदार्थों का लम्बे समय तक शरीर में रहना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसलिए शरीर विभिन्न अंग समूहों के माध्यम से इन पदार्थों का शरीर के बाहर विसर्जन कर देता है। इस प्रक्रिया में शामिल अंग समूहों को सामूहिक रूप से उत्सर्जन तंत्र (Excretory system) कहते हैं उत्सर्जी पदार्थो का वर्गीकरण(Classification of Excretory substances) प्राणियों के उत्सर्जी पदार्थों में उपस्थित तत्वों के आधार पर उत्सजी कोदो भागों में विभाजित किया गया है- 1. कार्बनिक उत्सर्जी पदार्थ 2. नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ 1. कार्बनिक उत्सर्जी पदार्थ *कार्बनिक उत्सर्जी पदार्थों में मुख्यतः कार्बन डाई आक्स...